Saturday, April 23, 2016
दोहरा चरित्र
इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल थोपे जाने के समय इंदिरा के चरणों की धूल बनकर खड़े वामपंथियों की टोली आज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही है... #दोहरा_चरित्र
राष्ट्रधर्म सर्वोपरि
आपको मोदी मुर्दाबाद बोलने की आज़ादी है.......आपको इंदिरा मुर्दाबाद बोलने की आज़ादी है..... लेकिन भारत मुर्दाबाद बोलने की आज़ादी ना थी,ना है,और ना ही होगी।।। #राष्ट्रधर्म_सर्वोपरि
असली राष्ट्रवाद
एक सवाल तो तथाकथित राष्ट्रवादी बीजेपी से भी बनता है... आतंकी अफजल के समर्थन में नारे लगाने वाले देशद्रोही हैं तो उसी अफजल के समर्थन में पत्र लिखने वाली पीडीपी के समर्थन से सरकार बनाने वाली पार्टी क्या है? #असली_राष्ट्रवाद
विभीषण कौन थे?
एक सवाल- विभीषण कौन थे? दोस्तों, विभीषण रावण के राज्य में रहने वाला एक ऐसा व्यक्ति था जिसके सहयोग के बिना श्रीराम को सीता नहीं मिलतीं, जिनके सहयोग के बिना लक्ष्मण जीवित नहीं बचते, जिनके सहयोग के बिना रावण के राज्य की गोपनीय बातें हनुमान-श्रीराम को पता नहीं लगतीं। एक लाइन में कहें तो 'श्रीराम के आदर्श भक्त'... इतना कुछ होते हुए भी आज उस घटना के हजारों सालों के बाद भी किसी पिता ने अपने बेटे का नाम 'विभीषण' नहीं रखा। जानते हैं क्यों? क्यों कि इस संस्कृति में आप राम भक्ति करें या ना करें कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन अगर राष्ट्रभक्ति नहीं की तो कभी माफ नहीं किए जाएंगे।
#एक_विश्वास- अब इसे पढ़कर वामपंथी मित्र सोचेंगे, 'मैं अपने अगले बच्चे का नाम विभीषण ही रखूंगा' और बीजेपी वाले सोचेंगे यह विश्व गौरव तो हमारा ही आदमी है।
#एक_विश्वास- अब इसे पढ़कर वामपंथी मित्र सोचेंगे, 'मैं अपने अगले बच्चे का नाम विभीषण ही रखूंगा' और बीजेपी वाले सोचेंगे यह विश्व गौरव तो हमारा ही आदमी है।
प्रेम जब तन से होता है ...
प्रेम जब तन से होता है तो वासना होता है
प्रेम जब मन से होता है तो भावना होता है
प्रेम जब आत्मा तक पहुंचता है तो आराधना होता है
और प्रेम जब राष्ट्र तक पहुंच जाता है तो साधना हो जाता है
प्रेम जब मन से होता है तो भावना होता है
प्रेम जब आत्मा तक पहुंचता है तो आराधना होता है
और प्रेम जब राष्ट्र तक पहुंच जाता है तो साधना हो जाता है
खिलौनों की तरह
जो तुम वादा करो हमारी खामोशी पढ़ने का,
हम खिलौनों की तरह बेआवाज होने को तैयार हैं। #क्वीन
हम खिलौनों की तरह बेआवाज होने को तैयार हैं। #क्वीन
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हमारी आदत
जमाना हो गया हमारी चाहत नहीं बदली,
किसी की जिद नहीं बदली,हमारी आदत नहीं बदली। #queen
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बेचैनियों की वजह
तुम्हारी खुशियों के ठिकाने तो बहुत होंगे,मगर,
हमारी बेचैनियों की वजह सिर्फ तुम हो..!! #queen
हमारी बेचैनियों की वजह सिर्फ तुम हो..!! #queen
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मंगल पर जीवन
पूरा पश्चिम मंगल पर जीवन खोजने में व्यस्त है, एक सिर्फ हमारी संस्कृति संस्कृति है, जो जीवन में मंगल की बात करती है। उसी को जीती है, उसी को खोजती है...नमन है इस गौरवशाली संस्कृति को...
'वंदे मातरम' कोई शब्द नहीं
'वंदे मातरम' कोई शब्द नहीं एक भाव है, एक भाव राष्ट्र के प्रति समर्पण का। किसी से जबरदस्ती वंदे मातरम कहलवाकर आप उसे देशभक्त नहीं बना सकते। मैं बस यह जानना चाहता हूं कि अगर कोई बिना भाव के वंदे मातरम बोले और मन में पाकिस्तान या राष्ट्रद्रोह रखे तब आप क्या करेंगे?
उसके साथ पूरी जिंदगी बिता सकते हो...
आप जिसके साथ खुल कर हंस सकते हैं, उसके साथ सिर्फ कुछ पल, कुछ घंटे अथवा कुछ दिन बिता सकते हैं... लेकिन आप जिसके साथ खुल कर रो सकते हो, उसके साथ पूरी जिंदगी बिता सकते हो...
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आरक्षण
मेरे विवेक के आधार पर आरक्षण केवल चार श्रेणियों को मिले
1. आर्थिक आधार पर हर गरीब को, चाहे वो किसी भी जाति धर्म का क्यों न हो
2. हर (दिव्यांग) को
3. हर अनाथ को
4. देश के लिए शहीद होने वालों
के बच्चों को क्या आप सहमत हैं?
1. आर्थिक आधार पर हर गरीब को, चाहे वो किसी भी जाति धर्म का क्यों न हो
2. हर (दिव्यांग) को
3. हर अनाथ को
4. देश के लिए शहीद होने वालों
के बच्चों को क्या आप सहमत हैं?
हिन्दू-मुस्लिम
अगर हिन्दू-मुस्लिम मिलकर नहीं लड़ते तो यह देश आजाद नहीं होता,
और अगर आज हिन्दू-मुस्लिम आपस में नहीं लड़ते तो यह देश बर्बाद नहीं होता।
#राष्ट्र_सर्वोपरि
और अगर आज हिन्दू-मुस्लिम आपस में नहीं लड़ते तो यह देश बर्बाद नहीं होता।
#राष्ट्र_सर्वोपरि
छोड़ दी सारी ख्वाहिशें
छोड़ दी सारी ख्वाहिशें जो तुम्हें पंसद न थी ए दोस्त,
तेरी साथ हो न हो पर तेरी ख्वाहिश आज भी पूरी करते हैं। #क्वीन
तेरी साथ हो न हो पर तेरी ख्वाहिश आज भी पूरी करते हैं। #क्वीन
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कहानी
आओ फिर से दोहराएं अपनी वही कहानी,
मैं तुम्हे बेपनाह चाहूँगा और तुम मुझे बेवज़ह छोड़ जाना.. #क्वीन
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हम-सफ़र
ज़िंदगी अपना सफ़र तय तो करेगी लेकिन,
हम-सफ़र जो तुम बन जाती तो मज़ा कुछ और ही होता.... #क्वीन
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दिल्ली की खामोशी
हम दिल्ली की खामोशी पर शर्मिंदा रह जाते हैं
वे भारत मुर्दाबाद बोलकर भी जिंदा रह जाते हैं। #कश्मीर
वे भारत मुर्दाबाद बोलकर भी जिंदा रह जाते हैं। #कश्मीर
हल्दी घाटी
हल्दी घाटी का युद्ध याद, अकबर को जब आ जाता था,
सुनते हैं अकबर अपने महलों में सोते-सोते उठ जाता था।
सुनते हैं अकबर अपने महलों में सोते-सोते उठ जाता था।
मुल्क से मोहब्बत
मैंने अपनी मोहब्बत के सम्मान में उर्दू बोलना सीख लिया, और इस देश की एक नेता अब तक हिंदी बोलना नहीं सीख पाईं...आज भी वह अंग्रेजी भाषण को हिंदी में पढ़ती हैं... मुल्क से मोहब्बत सच्ची होती तो उनको अंग्रेजी में लिखा हुआ भाषण पढ़ने की जरूरत नहीं होती...
सेल्युलर जेल
यदि आप सनातनी हैं और नहीं जा पाते हैं महाकुंभ में स्नान करने तो मत जाइए, शायद भगवान नाराज नहीं होंगे
यदि आप मुस्लिम हैं और नहीं जा पाते हैं हज करने तो मत जाइए, शायद खुदा नाराज नहीं होंगे
लेकिन अगर आप देशभक्त हैं तो एक बार सेल्युलर जेल (अंडमान) जरूर जाइए,
वहां जाकर आपको एहसास होगा कि हमें आजादी यूं ही नहीं मिली... (एक मित्र का अनुभव)
यदि आप मुस्लिम हैं और नहीं जा पाते हैं हज करने तो मत जाइए, शायद खुदा नाराज नहीं होंगे
लेकिन अगर आप देशभक्त हैं तो एक बार सेल्युलर जेल (अंडमान) जरूर जाइए,
वहां जाकर आपको एहसास होगा कि हमें आजादी यूं ही नहीं मिली... (एक मित्र का अनुभव)
मतलब
तुम मतलब से बात करती थी,
मुझे बस बात करने से मतलब था.... #क्वीन
मुझे बस बात करने से मतलब था.... #क्वीन
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वह लम्हा
वह लम्हा जिंदगी का सर्वाधिक अनमोल होता है,
जिनमें तेरी यादें,तेरी बातें,तेरा जिक्र होता है। #क्वीन
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लोकप्रिय होना हो तो...
यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का, उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए.
काफिर
'नजर', 'जज्बात','नजरिया' सब बदल गया,
एक दिन इश्क हुआ और मेरा 'रब' बदल गया।
उसकी एक नजर ने मुझे 'साहिल' बना दिया
और फिर उसकी चाहत ने मुझे 'काफिर' बना दिया... #queen
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मां का दर्द और भारत माता की जय
आप एक महिला के दर्द को महसूस नहीं कर सकते लेकिन आप भाषणों में कहते हैं एक महिला की प्रसव पीड़ा के समय जो दर्द होता है उसे मर्द झेल नहीं सकते। मैं आपके साथ हूं, मेरा मानना है कि उस दर्द को झेलने वाली महिला का सीधा संबन्ध हमसे या तो एक मां के रूप में हो सकता है या फिर एक पत्नी के रूप में हो सकता है। अब चूंकि पत्नी हमारे जीवन में बाद में आती है या नहीं भी आती है तो भी मां का संबन्ध तो सभी से होता है। इसलिए हमने इस भारत को मां माना। ‘मां’ शब्द को इस देश की संस्कृति से जोड़कर देखिए तभी इसका मर्म समझ में आएगा।
‘भारत माता की जय’ के उद्घोष के साथ समानता के भाव का जागरण होता है। एक बार कल्पना कर के देखिए, जिस जातिवाद से आप आजादी चाहते हैं उसी जातिवाद के निवारण के रूप में यह उद्घोष कितना काम आएगा। कोई भेदभाव नहीं, एक ही मां के सभी बेटे, कोई जाति-धर्म नहीं, किसी पूजा-पद्धति की बंदिशें नहीं, आखिर मां तो हर पूजा-पद्धति को मानने या न मानने वालों की होती है। ऐसी समानता किसी और तरीके से आ सकती है। इस विषय पर आप संघ को गाली भी नहीं दे सकते क्योंकि जातिगत विषय जमीनी स्तर पर कम से कम संघ में तो नहीं दिखते।
‘भारत माता की जय’ के उद्घोष के साथ समानता के भाव का जागरण होता है। एक बार कल्पना कर के देखिए, जिस जातिवाद से आप आजादी चाहते हैं उसी जातिवाद के निवारण के रूप में यह उद्घोष कितना काम आएगा। कोई भेदभाव नहीं, एक ही मां के सभी बेटे, कोई जाति-धर्म नहीं, किसी पूजा-पद्धति की बंदिशें नहीं, आखिर मां तो हर पूजा-पद्धति को मानने या न मानने वालों की होती है। ऐसी समानता किसी और तरीके से आ सकती है। इस विषय पर आप संघ को गाली भी नहीं दे सकते क्योंकि जातिगत विषय जमीनी स्तर पर कम से कम संघ में तो नहीं दिखते।
आदत
हर किसी की कोई ना कोई अच्छी आदत होती है.... . . .
मेरी "तुम" हो...!! #क्वीन
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प्रेम की किताब
अभी तो 'प्रेम की किताब' लिखनी ही शुरू की थी,
ना जाने परीक्षा के परिणाम कैसे आ गए। #क्वीन
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प्रेम और आध्यात्म
प्रेम, प्रदर्शन का नहीं बल्कि आध्यात्म का विषय है। यह बात तब तक महसूस नहीं की जा सकती जब तक आप प्रेम को हृदय की गहराइयों से महसूस ना करें।
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कोशिश
कोशिश आखिरी सांस तक करनी चाहिये..!!
'मंजिल' मिले या 'तजुर्बा', चीजें दोनों ही नायाब हैं..!! #QUEEN
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कैसा प्रेम तुम्हारा था
प्यार जताकर दूर गई तुम, कैसा प्रेम तुम्हारा था
तुमको खोकर खुद को पाया, क्या एहसास तुम्हारा था
पागल कहकर क्यों ठुकराया, कैसी आस तुम्हारी थी
गले लगाकर दूर हटाया, कैसी प्यास तुम्हारी थी
तुमसे मिलकर बातें करना, कैसी चाहत मेरी थी
आँखों में भी पानी था, फिर कैसी हसरत मेरी थी #क्वीन
तुमको खोकर खुद को पाया, क्या एहसास तुम्हारा था
पागल कहकर क्यों ठुकराया, कैसी आस तुम्हारी थी
गले लगाकर दूर हटाया, कैसी प्यास तुम्हारी थी
तुमसे मिलकर बातें करना, कैसी चाहत मेरी थी
आँखों में भी पानी था, फिर कैसी हसरत मेरी थी #क्वीन
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उसे ही फुरसत ना थी
उसे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की
मैं तो बिकता रहा उसके शहर में अखबारों की तरह...
#क्वीन
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